जाने किस कश्ती में सवार हूँ मैं
जाने कौन पतवार है मेरा.
ना उसको परवाह है ना मुझको फिकर है
फिर क्यूँ कहूँ की वो दिलदार है मेरा.
एक ख्वाब की तलाश में गुम हूँ मैं
इसी तलाश में बसा संसार है मेरा.
जिसका वजूद नहीं, सिर्फ एहसास सही
वही अक्स वही आकार है मेरा.
is kashti ka koi to kinara hoga,
ReplyDeleteis kashti ko ek din apni manzil ko pana hoga
Gaurav...
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