Saturday, March 26, 2011

TONIGHT

Tonight,
I want to squeeze out my heart,
I want to bleed tears,
I want to drench my pillow,
I want to set all of my pain free.

Tonight,
I want to lock all the doors forever,
I want to wipe the walls dry,
I want to make my heart hollow,
I so badly want to cry.

Tonight,
Don't peep in from the window,
Moon let me be all alone,
As I am not sad, just desperate,
to be as strong on my own.

Tonight,
I don't want to prove myself,
I dont want to fight for truth,
I don't want to undersatnad,
I don't want to be understood,
I dont want to hurt anyone,
I don't want to hurt myself,

I just want to cry and cry,
I just want to ease myself,
I just want to unburden my heart,
I just want this night to help,...
Tonight.

Saturday, March 12, 2011

MANMOHINI

चांदनी को पहने हुए,
वो सूरज का श्रींगार  करती है,
कुछ तो चन्दन उसकी खुशबू चुरा लेता है
और कुछ फूलों को वो उधार करती है

जब उस भूरी नीली नदिया में
वो अपना कोमल सा तन डुबोती है
ललचता हुआ सा चाँद
आसमान से उतरता है
डूब कर गहराईयों में तैरता हुआ
उसे छोने  गुज़रता है
अपने नर्म पाओं से उसे छेड़ती हुई
वो चाँद को अपनी चांदनी में भिगोती है   

प्यासा प्यासा सा मेघ 
चन्द्रमा से जलता है
उसके रूप की प्यास से मजबूर हो कर
अपनी दशा से चूर हो कर
खुद को खोने की राह में
उसके केवल एक स्पर्श की चाह में
टूट कर बरसता है
और उसके तन पर बूँदें बन कर,
टेहेलता हुआ,फिसलता हुआ,
उसके मन को छूने को तरसता है.

वो खेलती हुई इन बूंदों से
और चाँद को नदी में डूबा सा छोड़ कर
झम झम नाचती है बारिश में
और जाने कितने पौधे,
उसकी एक छुअन की ख्वाहिश में
झूमते हैं, झुकते हैं,

वो खनक कर खिलखिलाती है
अपनी मीठी किलकारियों से,
वो हवाओं को गुदगुदाती है
और कायनात का हर कतरा
केवल उसके एक एहसास की तलब में
बढ़ कर उन हवाओं को चूमता है,
और उसके नशे में झूमता है

और वो हर एक को बस छू कर गुज़र जाती है
हर के दील में बसती है लेकिन हाथ वो किसके आती है?
न करिश्मा है 
न माया
बस एक चमकती सी काया 
एक भोला सा चंचल मन 
और प्रेम की पूजा में अर्पित, एक निर्मल जीवन


न जीवन भर साथ निभाने वाली  अर्धांगिनी   
न जन्मो जन्मो संग रहने वाली संगीनी
बस पल भर को दिल लुभाने वाली,
लेकिन जीवन भर ख़्वाबों में आने वाली, मनमोहिनी.

Friday, March 11, 2011

MRIG TRISHNA

जाने किस कश्ती में सवार हूँ मैं 
जाने कौन पतवार  है मेरा.

ना उसको परवाह है ना मुझको फिकर है
फिर क्यूँ कहूँ की वो दिलदार है मेरा.

एक ख्वाब की तलाश में गुम हूँ मैं
इसी तलाश में बसा संसार है मेरा.

जिसका वजूद नहीं, सिर्फ एहसास सही
वही अक्स वही आकार है मेरा.