रास्ते भर बेक़रारी, मंज़िलों का इंतज़ार
पा के मंज़िल को लगा कि रास्ते ही ठीक थे
तन्हा जब तक थे अकेलेपन ने ले रखी थी जान
हमसफ़र को पा के जाना, थे जो तन्हा ठीक थे
दोस्त कितने कितने आशिक़, पर वो परवाना कहाँ
पा के परवाने को पाया, गुज़रे आशिक़ ठीक थे !
खामखां के शिक़वे वादे, इश्क़ ज़ालिम नामुराद
हाये उनको खो के जाना, जो भी थे वो ठीक थे
कब से भूले कब के भटके, थे तड़पते ये क़दम
साहिलों पे आके जाना, भूले भटके ठीक थे !
ग़ुमशुदा ग़ुमराह बेबस, जो भी कह लो जो भी हो
हर दफ़े हर बार नाख़ुश हो के ही हम ठीक थे
जिसने भी जब हाल पूछा, कब कहा? "हाँ ठीक हैं"
जब भी पूछा ये कहा,"जी हम तो पहले ठीक थे" !

पा के मंज़िल को लगा कि रास्ते ही ठीक थे
तन्हा जब तक थे अकेलेपन ने ले रखी थी जान
हमसफ़र को पा के जाना, थे जो तन्हा ठीक थे
दोस्त कितने कितने आशिक़, पर वो परवाना कहाँ
पा के परवाने को पाया, गुज़रे आशिक़ ठीक थे !
खामखां के शिक़वे वादे, इश्क़ ज़ालिम नामुराद
हाये उनको खो के जाना, जो भी थे वो ठीक थे
कब से भूले कब के भटके, थे तड़पते ये क़दम
साहिलों पे आके जाना, भूले भटके ठीक थे !
ग़ुमशुदा ग़ुमराह बेबस, जो भी कह लो जो भी हो
हर दफ़े हर बार नाख़ुश हो के ही हम ठीक थे
जिसने भी जब हाल पूछा, कब कहा? "हाँ ठीक हैं"
जब भी पूछा ये कहा,"जी हम तो पहले ठीक थे" !