क्यों दिल में अब कोई शोर नहीं
क्यों ख़्वाबों की कोई डोर नहीं
ये किस हाल में छोड़ गए तुम
वो क्या था मेरे अन्दर जो तोड़ गए तुम
कि अब न कोई चाहत है न कोई उम्मीद
न कोई दुश्मन है न कोई मीत
एक अँधेरे कूएं में गुमशुदा सी ज़िंदगी
न किसी हाथ का सहारा है, न सहारे की त्रिष्णगी
मैं यूं गुम हो चुकी हूँ अपने आप में कहीं
कि कोई सुर या भावना मेरे इन शब्दों के आलाप में नहीं
बस एक सवाल है
बस एक मलाल है
कि ये किस हाल में छोड़ गए तुम
वो क्या था मेरे अन्दर जो तोड़ गए तुम
क्यों ख़्वाबों की कोई डोर नहीं
ये किस हाल में छोड़ गए तुम
वो क्या था मेरे अन्दर जो तोड़ गए तुम
कि अब न कोई चाहत है न कोई उम्मीद
न कोई दुश्मन है न कोई मीत
एक अँधेरे कूएं में गुमशुदा सी ज़िंदगी
न किसी हाथ का सहारा है, न सहारे की त्रिष्णगी
मैं यूं गुम हो चुकी हूँ अपने आप में कहीं
कि कोई सुर या भावना मेरे इन शब्दों के आलाप में नहीं
बस एक सवाल है
बस एक मलाल है
कि ये किस हाल में छोड़ गए तुम
वो क्या था मेरे अन्दर जो तोड़ गए तुम